परिदृष्टि-
विश्वविद्यालय बदलाव के लिए होता है। जेएनयू मानवीय रहन-सहन और हस्तक्षेप के सभी सकारात्मक पहलुओं की मिशाल है। अरावली पर्वत श्रृंखला के उबड़-खाबड़ ऊसर क्षेत्र के 1000 एकड़ में निर्मित यह विश्वविद्यालय हरे-भरेक्षेत्र में परिवर्तित हो गया है।यह भौगोलिक क्षेत्र में बुगनविलियाज एवं अमलतास, आम और जामुन के रंगों से भरा हुआ है तथा मोर और नीलगाय का प्राकृतिक निवास है। जेएनयू पक्षियों को देखने का प्राकृतिक रमणीय स्थल है। इसमें कुछ जगह घने जंगल भी बने हुए हैं।
जेएनयू परिसर भारतीय राष्ट्र का एक लघु रूप है। इसमें देश के कोने-कोने और समाज के प्रत्येक समूह और स्तर से छात्र आते हैं।ऐसा सुनिश्चित करने के लिए वार्षिक प्रवेश-परीक्षा देश के विभिन्न भागों में केंद्रों पर (विदेश में काठमांडू, नेपाल में एक केंद्र पर)एक साथ आयोजित की जाती है तथा वंचित समुदायों एवं सांस्कृतिक समूहों से छात्रों को आकर्षित करने पर विशेष जोर दिया जाता है। वर्ष भर में15 प्रतिशत विदेशी छात्र प्रवेश लेते हैं। फिलहाल,पूरे विश्वसे ऐसे छात्रलगभग30-35 देशों से पढ़ रहे हैं।
अधिकतर शिक्षक, स्टाफ सदस्य एवं छात्र विश्वविद्यालय परिसर में रहते हैं। लगभग छात्रावास संकाय सदस्यों के आवास के नजदीक बने हुए हैं ताकि परस्पर चर्चा सुकर हो सके और बृहत् शैक्षिक परिवार में अपनत्व की भावना को प्रोत्साहन दिया जा सके। छात्रावास एवं संकाय सदस्यों के आवास चार क्लस्टरों में बने हुए हैं। इनकेनाम चारों दिशाओं के नाम पर रखे गए हैं। प्रत्येक छात्रावास का नाम संबंधित क्षेत्र की नदी के नाम पर रखा गया है।
शैक्षिक परिसर में सभी अन्य भवनों से ऊंचा भवन नौ-मंजिला विश्वविद्यालय पुस्तकालय का है जो परिसर में छात्र जीवन का आधार है। जेएनयू पुस्तकालय अपनी उत्कृष्ट अवसंरचना सुविधाओं के कारण इलेक्ट्रॉनिक शोध-पत्रिकाओं के यूजीसी-इन्फोनेट-इनफ्लिबनेट कंसोर्टियम के लाभार्थी के तौर पर चुने जाने वाले विश्वविद्यालयों का प्रथम बैच है। पुस्तकालय में स्थित ‘समकालिक इतिहास अभिलेखागार’ भारत के वामपंथी आंदोलन पर बड़ी संख्या में स्रोत सामग्री का संग्रह केंद्र है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा वित्त-पोषित तथा जेएनयू में स्थित मानव संसाधन विकास केंद्र (पूर्ववर्ती अकादमिक स्टाफ कॉलेज) भारत के विभिन्न भागों के कॉलेज शिक्षकों के लिए सेवाकालीन पुनश्चर्या प्रशिक्षण का आयोजन कर देश के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए सेवारत है। जेएनयू में उपलब्ध अन्य सुविधाओं में दो विशिष्ट यंत्रीकरण केंद्र – उच्च यंत्रीकरण शोध सुविधा (एआइआरएफ) तथा विश्वविद्यालय विज्ञान यंत्रीकरण केंद्र (यूसिक) हैं जो विभिन्न आंतरिक शोध एवं विकास गतिविधियों में शामिल हैं। एशिया में इस प्रकार की बेहतरीन भाषा प्रयोगशाला कॉम्पलेक्स विडियो तथा ऑडियो सुविधाओं से लेस है। इसमें एक स्टुडियो तथा सुसज्जित सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी भी है।
जेएनयू परिसर में छात्र-जीवन के अनोखेपन के अपने ही रंग-रूप हैं। इस विश्वविद्यालय को बौद्धिक राजनीतिज्ञों के लिए प्रशिक्षण स्थल तथा भारतीय नौकरशाही में महत्वपूर्ण जीवन के रूप में देखा जाता है। इसे शोध एवं शिक्षा के क्षेत्र में जीवन की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। पैराडिगमेटिक परिसर की वैधता अथवा किसी विशेष वैज्ञानिक अथवा आर्थिक लघु शोध-प्रबंध के सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में गंभीर और कभी-कभार पुर जोर बहस कक्षा, छात्रावास के कमरों से लेकर परिसर की सड़को के बीच मंडराता है जो कभी-कभार यातायात के लिए परेशानी बन जाता है।सुखद बात यह है कि इनसे कभी कोई सड़क दुर्घटना नहीं हुई है। भारत में जेएनयू एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जिसमें छात्र संघ के चुनाव केवल छात्रों द्वारा ही आयोजित किए जाते हैं। चुनावों के दौरान पोस्टर तथा कार्टून की जंग, शाब्दिक वाद-विवाद एवं प्रतियोगी होने के बावजूद समूह चर्चाएं आदि का शांतिप्रिय होना दर्शकों को लुभाता है। वस्तुतः, छात्र जीवन का वास्तविक आधार प्रत्येक प्रेसिंग समकालिक मुद्दे पर रात्रि भोज के बाद भाषण एवं वाद-विवादों से बुना जाता है। जेएनयू एक ऐसा स्थान है जिसमें देर रात्रि तक जलपान एवं सक्रिय सांस्कृतिक जीवन देखने को मिलता है। इसमें ऐसे क्लब हैं जहां नाट्यकला से पर्वतारोहण तक नाना प्रकार की गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
यह गर्व से कहा जा सकता है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय न केवल भारत अपितु विश्व में एक अनोखा विश्वविद्यालय है जो अपनी विविधता और सामाजिक न्याय तथा बौद्धिक उपलब्धि के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।