भूतपूर्व विद्यार्थी
रुसी एवं मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के रूस, मध्य एशिया तथा पूर्व सोवियत संघ के अन्य गणतंत्रों के अंतर्विषयक शोध एवं अध्ययन के प्रधान केन्द्रों में से एक है । हमारा प्राथमिक उद्देश्य अलग अलग विद्धवानों, जो विभिन्न सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में प्रशिक्षित हों, को एक साथ लाकर इस क्षेत्र की समस्याओं पर अंतर्विषयक प्रकाश डालना है । हमारे पास विद्धवानों का काफी बेहतरीन समूह है जो सामाजिक विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, इतिहास, अर्थशास्त्र एवं समाज शास्त्र से लेकर रूसी भाषा एवं साहित्य की विधा में महारत रखते हैं ।केंद्र अंतर्विषयक सोच को बढ़ावा देता है एवं भारत तथा विदेशों के विद्धवानों,से मिलने, बातचीत तथा विचारों के आदान प्रदान को भी प्रोत्साहित करता है ।शैक्षणिक बातचीत शुरू करने से जुड़े मामलों में केंद्र नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय सेमिनार, गोलमेज़ आलोचनाएँ, बातचीत एवं लेक्चर का आयोजन करवाता है
केंद्र का एक नियमित एम फिल/पीएचडी कार्यक्रम है और यह अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय के एमए कार्यक्रम के कोर्स भी प्रदान करता है । केंद्र में हर साल एम फिल/पीएचडी कार्यक्रम के लिए करीबन 25 सीटें उपलब्ध होती हैं;
लक्ष्य
उत्कृष्टता का केंद्र बने रहने के लिए शोध करना एवं रूस, मध्य एशिया तथा अन्य पूर्व सोवियत गणतंत्रों के बारे में पढ़ाना । यह सोवियत संघ के राज्यों की अर्थव्यवस्था, राजनैतिक प्रणाली, समाज, संस्कृति, भाषा तथा विदेश नीति के सही अध्ययन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने की अपेक्षा रखता है । यह शैक्षणिक कार्यक्रमों, पढ़ाने तथा शोध के साथ प्राथमिक तथा सहायक शोध वस्तुओं जैसे किताबें, माइक्रो फिल्म्स, जर्नल, अखबार तथा सन्दर्भ दस्तावेज़ को जमा करने को भी बढ़ावा देता है ।इस क्षेत्र का एक असल एवं विस्तृत डेटाबेस तैयार करने पर भी विशेष जोर दिया जाता है
- रूस, मध्य एशिया तथा अन्य पूर्व सोवियत गणतंत्रों की सुरक्षा, राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति के सम्बन्ध में विस्तृत समझ विकसित करना
- इन राज्यों के बदलते राजनैतिक परिदृश्य से आने वाली समस्याओं का अध्ययन एवं इनका भारत के साथ सहयोग
- पूर्व सोवियत गणतंत्रों में नए खुल रही शैक्षणिक संस्थाओं के साथ सम्बन्ध मज़बूत करना
- उपरोक्त समस्याओं पर भारत की अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में शोध एवं अध्ययन को प्रोत्साहित करना
- एक तरफ भारत एवं दूसरी तरफ रूस, मध्य एशिया एवं अन्य पूर्व सोवियत गणतंत्रों के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध के क्षेत्र में सही शोध को बढ़ावा देना ।भारत के इन देशों के साथ सम्बन्ध का अध्ययन हमारी पढ़ाने एवं शोध का एक महत्वपूर्ण भाग है
- भारत, रूस एवं अन्य पूर्व सोवियत गणतंत्रों से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों की अंतर्विषयक संरचना के शोध एवं स्कालरशिप को बढ़ावा देना
इतिहास
रूसी एवं पूर्वी यूरोपियन अध्ययन केंद्र ने एक स्वतंत्र शैक्षणिक संस्थान के रूप में 1960 के दशक के आखिरी समय में कार्य शुरू किया। इसके पहले यह अंतरराष्ट्रीय अध्ययन भारतीय विद्यालय (आईएसआईएस) के अंतरराष्ट्रीय राजनीति एवं राष्ट्रमंडल अध्ययन के कार्यक्रम का भाग था। 1970 के दशक की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन भारतीय विद्यालय का विलय नए स्थापित हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथ हो गया और इसका नाम अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय (एसआईएस) पड़ गया। तब से यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय एक स्वतंत्र तथा निरंतर चलने वाली शैक्षणिक इकाई के रूप में कार्य करता है। नियमित एम फिल / पीएचडी विद्यार्थियों के समूह का केंद्र में दाखिला १९७४ में हुआ था।
१९७५ में केंद्र का नाम बदलकर सोवियत एवं पूर्वी यूरोपियन अध्ययन केंद्र (सीएसइइएस) कर दिया गया। सोवियत संघ के विघटन के बाद केंद्र का नाम बदलकर रूसी, मध्य एशियाई तथा ईस्ट यूरोपियन अध्ययन केंद्र (सीआरसीए एंड इइएस) कर दिया गया। 2005 में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय के विभिन्न केंद्रों के पुनर्निर्माण के बाद इसे आजकल रूसी एवं मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र (सीआरसीएएस) के नाम से जाना जाता है।
इसकी शुरुआत के समय से, केंद्र ने नीति निर्माताओं एवं एक बड़े शैक्षणिक समूह के साथ मिलकर कार्य किया है। केंद्र अतिथि विद्धवानों, जो भारत तथा विदेशों से आते हैं, आमंत्रित करता है जो सोवियत राज्यों की समस्याओं पर कार्य करने में कुछ समय व्यतीत करते हैं। केंद्र द्वारा नियमित तौर पर सेमिनार एवं कांफ्रेंस का आयोजन किया जाता है, जिससे कि काफी मात्रा में विशेषज्ञता को साथ लाया जा सके एवं विद्वानों के बीच विचारों का आदान प्रदान हो सके। केंद्र द्वारा किये गए योगदान तथा इसकी श्रेष्ठता की संभावना को मान्यता देने के लिए भारत के यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (युजीसी) ने इस ख़ास सहायक केंद्र को युजीसी एरिया अध्ययन कार्यक्रम के तहत मान्यता दी है।
रूसी एवं पूर्वी यूरोपियन अध्ययन केंद्र ने एक स्वतंत्र शैक्षणिक संस्थान के रूप में १९६० के दशक के आखिरी समय में कार्य शुरू किया। इसके पहले यह अंतरराष्ट्रीय अध्ययन भारतीय विद्यालय (आईएसआईएस) के अंतरराष्ट्रीय राजनीति एवं राष्ट्रमंडल अध्ययन के कार्यक्रम का भाग था। १९७० के दशक की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन भारतीय विद्यालय का विलय नए स्थापित हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथ हो गया और इसका नाम अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय (एसआईएस) पड़ गया। तब से यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय एक स्वतंत्र तथा निरंतर चलने वाली शैक्षणिक इकाई के रूप में कार्य करता है। नियमित एम फिल / पीएचडी विद्यार्थियों के समूह का केंद्र में दाखिला १९७४ में हुआ था।
प्रोफेसर संजय कुमार पांडेय,
अध्यक्ष,
रूसी एवं मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र
अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय,
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,
नयी दिल्ली -११००६७, भारत।
टेलीफ़ोन : ९१-११-२६७४२४४० (आर), २६७०४३६५
फैक्स; ९१-११- २६७१७५८०