केंद्र के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, संगठन एवं अशस्त्रीकरण केंद्र अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय (एसआईएस) के सबसे पुराने केन्द्रों में से एक है ।इसे अपनी तरह का अनूठा केंद्र भी समझा जा सकता है क्योंकि यह राजनीति, संगठन, कूटनीति, सुरक्षा एवं भूगोल के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने की ओर ध्यान केन्द्रित करता है । इन्हें सीआईपीओडी के अंतर्गत चार भिन्न परन्तु परस्पर सम्बंधित कार्यक्रमों में बांटा जा सकता है :
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति (आईएनपी)
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन (ओआरजी)
- कूटनीति एवं अशस्त्रीकरण (डीएडी)
- राजनीतिक भूगोल (पीओजी)
ये कार्यक्रम अपने अस्तित्व एवं सफलता में काफी अनूठे हैं । सीआईपीओडी के पास अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अनुभव का काफी बड़ा खजाना है, जिसके अंतर्गत २२ अधिकृत फैकल्टी के पद आते हैं । फैकल्टी के ये सदस्य विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित होते हैं (जैसे इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, क़ानून एवं शारीरिक विज्ञान)। उनके पेशेवर कार्यकलापों से यह ज़ाहिर होता है कि सीआईपीओडी फैकल्टी ने विख्यात जर्नल्स के सम्पादकीय बोर्ड की सदस्यता प्राप्त करने, अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंसों एवं सेमिनार में भाग लेने, प्रकाशन एवं विश्वविद्यालय के अन्दर एवं बाहर शिक्षण प्रदान करके अपने ख़ास पेशेवर गुण की वजह से काफी ख्याति अर्जित की है ।.
इतिहास
इस केंद्र का जन्म तब हुआ जब भारतीय अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय (आईएसआईएस) जेएनयु के साथ १९७० में मिल गया, जबकि इसका मुख्य भाग अंतर्राष्ट्रीय संबंधों एवं राष्ट्रमंडल के विभागों, जो कि आईएसआईएस में मौजूद थे, के एकीकरण का परिणाम है ।इस केंद्र की उत्पत्ति होते समय इसके अंतर्गत तीन कार्यक्रम थे;अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा अशस्त्रीकरण । केंद्र के कार्यक्रमों की यह खास संरचना शैक्षिक परिदृश्य की उभरती हुई प्राथमिकताओं तथा विश्व के लिए उस ख़ास परिकल्पना का प्रतिनिधित्व करती है जिसे भविष्य के शोधकर्ताओं के फायदे के लिए विकसित किया जाना ज़रूरी है । यह जानना दिलचस्प है कि असल शैक्षिक इकाइयों में से अंतर्राष्ट्रीय संगठन एवं अशस्त्रीकरण की इकाइयां काफी नयापन लिए हुए थी और ये आज भी विश्वविद्यालय की संरचना में काफी अनूठी हैं । इसके बाद राजनीतिक भूगोल के लिए एक अलग शिक्षण एवं शोध कार्यक्रम शुरू किया गया । हाल में २००५ में स्कूलों में काफी संरचनात्मक बदलाव करने के फलस्वरूप कूटनीतिक अध्ययन कार्यक्रम (एक जुड़े हुए कार्यकारी केंद्र से सम्बंधित) सीआईपीओडी का एक मूल्यवान भाग बन गया । एक और संभावित अच्छे कदम जिसे २००७ में लिया गया, के अंतर्गत कूटनीतिक अध्ययन एवं अशस्त्रीकरण अध्ययन अपने अलग अस्तित्व से मुक्त हो गए एवं अध्ययन के लिए एक कार्यक्रम में परिणत हो गए ।
हमारी विरासत
केंद्र उन भूतपूर्व कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता है, जिन्होंने एक अतुलनीय शैक्षिक संस्कृति की नींव रखी एवं भारत में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विकास में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।कई प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञों ने केंद्र में आगंतुक प्राध्यापक की भूमिका निभाई है । केंद्र उन ख़ास विद्वानों का आभार व्यक्त करना चाहता है जिन्होंने इसकी फैकल्टी को पिछले दशकों में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं । इनमें प्रोफेसर ए अप्पादोराई, एम एस राजन, के पी मिश्रा, भबानी सेनगुप्ता, सिसिर गुप्ता, के पी सक्सेना, एम एल सोंधी, एम ज़ुबेरी, टी टी पौलोसे, ए के दामोदरन, एस सी गंगल, आर सी शर्मा, सुमित्रा चिश्ती, अर्जुन के सेनगुप्ता, वी एस मणि, सुशिल कुमार, सतीश कुमार, सुरजीत मानसिंह, कांति पी बाजपेई, के एस जावटकर, के डी कपूर, वी के एच जम्भोलकर, पुष्पेश के पंत और एस एस देवरा शामिल हैं ।