अरबी और अफ्रीकी अध्ययन का केंद्र
अरबी और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र(सीएएएस) स्कूल के भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक अध्ययन का हिस्सा हैं। यह 1971 में सीएएएल –( सेण्टर ऑफ़ अफ्रीकन एंड एशियाई लैंग्वेजेज जिसमे चाईनीज़, जापानी, कोरियाई,पारसी और अरबी भाषा शामिल है) के रूप में शुरू हुआ था। पिछले कुछ वर्षों में, हर भाषा बढ़कर एक स्वतंत्र केंद्र बन गयी है। 1996 तक, सीएएएल में केवल अरबी और पारसी भाषा शामिल थी और उसी साल, सीएएएल दो अलग केन्द्रों में बंट गयी “सेंटर ऑफ़ अरेबिक एंड अफ्रीकन स्टडीज”(सीएएएस) और “सेंटर ऑफ़ पर्शियन एंड सेंट्रल एशियाई स्टडीज”(सीपी और सीएएस)
महाविद्यालय के बड़े लक्ष्य और नीतियों के अनुरूप, सीएएस हिब्रू और स्वाहिली भाषा में वैकल्पिक पाठ्यक्रम देने के अलावा अरबी भाषा, साहित्य, संस्कृति और इतिहास में भी कई प्रोग्राम पेश करता है। यह केंद्र न केवल भारत के विभिन्न कोनों से बल्कि विदेश जैसे चाइना, जापान, टर्की, और साथ ही अरबी बोलने वाले देश जैसे कि इजिप्ट और यमन से भी विद्यार्थियों को आकर्षित करने में सफल रहा है। अरबी और अफ्रीकी अध्ययन का केंद्र(सीएएस) पूर्ण समय 3 साल बी.ए.(एच), 2 साल एम.ए. और 5 साल एम.फिल./पी.एचडी अरबी भाषा, साहित्य और संस्कृति में प्रोग्राम पेश करता है। पाठ्यक्रम को सावधानी पूर्वक तैयार किया गया है और नियमित अपडेट किया जाता है जिससे बदलते समय और उसकी जरूरतों के बराबर रहा जा सके। इस प्रोग्राम की मुख्य विशेषता गहन विशेष प्रशिक्षण है जिसमें ख़ास ध्यान संचार कौशल को विकसित करना, मौखिक,लिखित और साथ ही अनुवाद और व्याख्या शामिल है।
भाषा के प्रशिक्षण के अलावा, विद्यार्थियों को अरबी दुनिया की संस्कृति और साहित्यिक विरासत से शास्त्रीय और समकालीन ग्रंथों के द्वारा धीरे धीरे अवगत कराया जाता है और गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की जाती है। हाल के वर्षों में, यह केंद्र देश के सभी महाविद्याल्यो में सबसे प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ है खासतौर से आधुनिक अरबी भाषा और उसके साहित्य, अनुवाद और व्याख्या में विशेषज्ञता के क्षेत्र में।
अपने अध्ययन के दायरे का विकास करते हुए केंद्र ने दूसरी सेमीटिक भाषा- हिब्रू की शुरुआत की। वर्तमान में, यह पाठ्यक्रम जेएयू के छात्रों को वैकल्पिक विषय के रूप में उपलब्ध है। इस पाठ्यक्रम ने विविध अकादमिक पृष्ठभूमि और विद्यालयों के विद्यार्थियों को आकर्षित किया है। अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के विद्यालयों के, सामाजिक विज्ञान के विद्यालय, और दर्शनशास्त्र आदि के शोध विद्वानों ने हिब्रू की कक्षा में हिस्सा लिया जिससे सभी को लाभ हुआ।
अफ्रीकन भाषाओं में केंद्र ने स्वाहिली भाषा की शुरुआत की है। स्वाहिली भाषा में वैकल्पिक पाठ्यक्रम केंद्र के द्वारा मानसून सेमेस्टर,2014, से प्रभावी हुआ है। उप्पसला महाविद्यालय, स्वीडन, के प्रख्यात भाषाविद् ने स्वाहिली भाषा प्रोग्राम की खोज की और एक साल तक पढ़ाया।
नए थ्रस्ट के क्षेत्र
केंद्र की कोशिश ए) अरबी भाषा बोलने के लिए कैप्सूल पाठ्यक्रम जो 45 कार्य दिवस स्व वित्त योजना के अंतर्गत बी) अकादमिक परिषद की मंजूरी के लिए अरबी विषय में प्रमाणपत्र और डिप्लोमा और अतिरिक्त शिक्षण सहायता के प्रावधान की शुरुआत करने की है।.
केंद्र थ्रस्ट क्षेत्र को भी विकसित कर रही है जैसे की-
ए) शास्त्रीय अरबी भाषा और साहित्य
बी) समकालीन साहित्यिक विनिमय के क्षेत्र में इंडो-अरब सम्बन्ध.
सी) इंडो-अफ्रीकी अध्ययन: सामाजिक संस्कृति और साहित्यिक पहलु.
डी) हिब्रू में बी.ए. प्रोग्राम की शुरुआत जो पर्याप्त शिक्षण सुविधा की उपलब्धता पर आधारित है